Drishti IAS द्वारा संचालित Drishti Judiciary में आपका स्वागत है










होम / करेंट अफेयर्स

सांविधानिक विधि

संविधान का अनुच्छेद 309

    «    »
 17-Nov-2023

स्रोत: उच्चतम न्यायालय

चर्चा में क्यों?

न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के एक फैसले से संबंधित अपीलों पर सुनवाई की, जिसमें जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (JOA) पद के लिये आवश्यक पात्रता योग्यता में छूट देने की हिमाचल प्रदेश सरकार की कार्रवाई को बरकरार रखा गया था।

  • सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला अंकिता ठाकुर और अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग के मामले में दिया।

अंकिता ठाकुर और अन्य बनाम हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग मामले की पृष्ठभूमि क्या है?

  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के प्रावधान के तहत बनाए गए हिमाचल प्रदेश, कार्मिक विभाग, जेओए, सामान्य भर्ती और पदोन्नति नियम, 2014 सरकार के विभिन्न विभागों में जेओए के पद के लिये सामान्य भर्ती और पदोन्नति नियम बनाने की दृष्टि से अधिसूचित किये गए थे।
  • इसमें पात्रता मानदंड से संबंधित कई मुद्दे थे जिन पर एक और पात्रता मानदंड प्रख्यापित किया गया था जिसने उम्मीदवारों के दो प्रकारों को विभाजित कर दिया था।
  • एक प्रकार में वे लोग शामिल थे जिनकी उम्मीदवारी इसलिये खारिज कर दी गई क्योंकि वे विज्ञापन और 2014 के नियमों में निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करने में विफल रहे।
  • दूसरे प्रकार में वे उम्मीदवार शामिल थे जो पात्रता मानदंड में छूट से व्यथित थे क्योंकि इससे अन्य उम्मीदवारों की पात्रता का दायरा बढ़ गया था और इस तरह उनके चयन की संभावना कम हो गई थी।
  • इसलिये, उन्होंने 2017 में आए छूट के आदेश और उसके तहत किये गए चयन की वैधता पर सवाल उठाया।

कोर्ट की टिप्पणी क्या थी?

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "भले ही राज्य के पास पात्रता मानदंड में ढील देने की शक्ति हो, लेकिन इस तरह के बदलाव का व्यापक प्रचार किये बिना और समान स्थिति वाले उम्मीदवारों को आवेदन करने और दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करने का अवसर दिये बिना ऐसा नहीं किया जा सकता था"।

संविधान का अनुच्छेद 309 क्या है?

  • कानूनी प्रावधान:
    • संविधान का अनुच्छेद 309: इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, समुचित विधान-मंडल के अधिनियम संघ या किसी राज्य के कार्यकलाप से संबंधित लोक सेवाओं और पदों के लिये भर्ती का और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का विनियमन कर सकेंगे:
      परंतु जब तक इस अनुच्छेद के अधीन समुचित विधान-मंडल के अधिनियम द्वारा या उसके अधीन इस निमित्त उपबंध नहीं किया जाता है तब तक, यथास्थिति, संघ के कार्यकलाप से संबंधित सेवाओं और पदों की दशा में राष्ट्रपति या ऐसा व्यक्ति जिसे वह निर्दिष्ट करे और राज्य के कार्यकलाप से संबंधित सेवाओं और पदों की दशा में राज्य का राज्यपाल* या ऐसा व्यक्ति जिसे वह निर्दिष्ट करे, ऐसी सेवाओं और पदों के लिये भर्ती का और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का विनियमन करने वाले नियम बनाने के लिये सक्षम होगा और इस प्रकार बनाए गए नियम किसी ऐसे अधिनियम के उपबंधों के अधीन रहते हुए प्रभावी होंगे।

अर्थ:

  • संविधान का अनुच्छेद 309 संघ या राज्यों की सार्वजनिक सेवाओं में सेवारत व्यक्तियों की नियुक्ति, सेवा की शर्तों और कार्यकाल से संबंधित है।
  • अनुच्छेद 309, संघ और राज्यों के अधीन सेवाओं पर अध्याय के भाग के रूप में, योग्यता-आधारित, कुशल और निष्पक्ष सिविल सेवा प्रणाली स्थापित करने के निर्माताओं के इरादे को दर्शाता है।

महत्वपूर्ण तत्व:

  • विनियमन की शक्ति:
    • अनुच्छेद 309 लोक सेवकों के लिये भर्ती और सेवा की शर्तों को विनियमित करने वाले कानून बनाने के लिये उपयुक्त विधायिका (संसद या राज्य विधानमंडल) को अधिकार प्रदान करता है।
    • इसमें नियुक्ति के तरीके, कार्यालय के कार्यकाल और सरकारी कर्मचारियों से संबंधित अनुशासनात्मक मामलों को निर्धारित करने की शक्ति शामिल है।
  • मौजूदा कानून और नियम:
    • यह अनुच्छेद सार्वजनिक सेवाओं को विनियमित करने वाले मौजूदा कानूनों और नियमों की वैधता को मान्यता देता है।
    • इसका अर्थ यह है कि संविधान के प्रारंभ के समय लागू कानून या नियम सक्षम विधायिका द्वारा परिवर्तित, संशोधित या निरस्त होने तक वैध बने रहेंगे।
  • नियम बनाने वाला प्राधिकरण:
    • राष्ट्रपति या राज्यपाल (यह इस बात पर निर्भर करता है कि यह संघ या राज्य का मामला है) के पास सार्वजनिक सेवाओं में नियुक्त व्यक्तियों की भर्ती और सेवा की शर्तों को विनियमित करने के लिये संविधान के प्रावधानों के अनुरूप नियम बनाने की शक्ति है।